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पंडित रविशंकर शुक्ला जी की पुण्यतिथि .

दुर्ग - छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बदरुद्दीन कुरैशी ने पंडित रविशंकर शुक्ला जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि, देश के वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे । उन्हें आधुनिक मध्य प्रदेश का निर्माता कहा जाता है । वह अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे । उनका निधन 31 दिसंबर 1956 को हुआ था । 

एक उनकी पुण्यतिथि को हर साल सुरता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित रवि शंकर शुक्ला जी ने देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई । इस दौरान उन्हें मध्य प्रदेश के सिवनी जेल और रायपुर के कोतवाली जेल में भी रहना पड़ा । देश और समाज के लिए संघर्ष करना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था । इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्र नाथ मिश्रा ने के अनुसार, आजादी से पहले मध्य प्रांत और बरार में वे शिक्षा मंत्री रहे । आजादी के बाद 1 नवंबर 1956 को जब मध्य प्रदेश अलग राज्य बना तब पंडित रविशंकर शुक्ल इसके पहले मुख्यमंत्री बने ।

                  भिलाई स्टील प्लांट पहले महाराष्ट्र के चंद्रपुर में स्थापित होना था, लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ला जी के हस्तक्षेप से भिलाई में इस्पात कारखाना स्थापित हुआ । सिरपुर में पुरातात्विक खुदाई शुरू करवाई जिस ऐतिहासिक धरोहरें सामने आई । दक्षिण बस्तर को निजाम को दिए जाने वाले 99 साल के पट्टे को भी उन्होंने रुकवाया । पंडित रवि शंकर शुक्ला शिक्षा और हिंदी भाषा के बड़े समर्थक थे । वे खैरागढ़ में 3 साल तक प्रधान अध्यापक रहे और वहां के राजा राजकुमारों को शिक्षा दी । 1937 में विद्या मंदिर योजना लागू की रायपुर जिला परिषद से उत्थान पत्रिका का प्रकाशन कराया । हिंदी भाषा पर कई पुस्तक भी लिखीं। उनके महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और विनोबा भावे जैसे नेताओं से अच्छे संबंध थे । वे राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक चेतना के संवाहक थे । पंडित रवि शंकर शुक्ला जी की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में थी, जो मंत्रिमंडल और आम जनता सब के साथ मिलजुल कर काम करते थे । वैचारिक मतभेद के बावजूद उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता दी । पंडित रविशंकर शुक्ल जी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय और राज्य के लिए समर्पित कर दिया । छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विकास में उनका योगदान ऐतिहासिक है । उन्हीं की स्मृति में रायपुर स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है।

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