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ग्रामीणों के विरोध के बाद भी उनकी जमीनों का जबरदस्ती किया जा रहा अधिग्रहण .

महासमुंद - रायगढ़ के तमनार में उपजे विवाद को लेकर पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि यह घटना भाजपा सरकार की तानाशाही रवैये का जीता-जागता प्रमाण है। यहां कोल खदान के खिलाफ दर्जनों गाँवों के हजारों लोग विरोध कर रहे हैं, उसके बाद भी जनभावनाओं के विपरीत जाकर खदान विस्तार के लिए किसानों की जमीन, जंगल को उद्योग पतियों को दिया जा रहा है। इसी तरह रायगढ़ के ही छाल, सरगुजा के अमेरा ओपनकास्ट खदान, कोरबा के गेवरा में कोल खनन का विरोध ग्रामीण कर रहे हैं। सरकार केवल उद्योगपतियों का समर्थन कर रहा है, जिससे क्षेत्र के ग्रामीण अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक रूख अपनाने विवश हो रहे हैं। तमनार ब्लाॅक में प्रस्तावित गारे-पेलमा कोल ब्लाॅक की जनसुनवाई का विरोध करने हजारों ग्रामीण एकत्र हुए थे। लेकिन, जनसुनवाई नियत स्थल स्कूल मैदान में न कराकर बंद कमरे में की गई।

श्री चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस ने कभी आदिवासियों की धरोहर को नहीं बेचा और ना ही उनकी आस्था और संस्कृति से खिलवाड़ किया। जल, जंगल, जमीन आदिवासियों की धरोहर है। पेड़ पौधे, वन्य जीव, खनिज संपदा, वन्य औषधियों में उनकी आस्था बसती है। इन सब का संरक्षण करना आदिवासियों की संस्कृति है। आदिवासियों की भावनाएं इन चीजों से जुड़ी हुई है। लेकिन, जब से भाजपा की डबल इंजन सरकार छत्तीसगढ़ में बनी है तब से जल, जंगल, जमीन को बेचने का काम किया जा रहा है। विरोध करने पर आदिवासियों पर लाठीचार्ज, अांसू गैस छोड़े जा रहे हैं। उन्हें झूठे मामलों में फँसाकर जेल भेजे जा रहे हैं। यहां तक कई आदिवासियों को नक्सली बताकर फर्जी इकाउंटर भी किया जा रहा है।

सरगुजा जिले के लखनपुर विखं के ग्राम परसोडिकला में पुलिस व स्थानीय ग्रामीणों के बीच हुए टकराव लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है। यहां गुजरात की एक निजी कंपनी से सरकारी खदान से कोल उत्खनन कराया जा रहा है। प्रदूषण व पर्यावरणीय क्षति के विरोध में लोग विरोध कर रहे हैं। जिसके बाद उन पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस छोड़े गए। भाजपा की सरकार बाहर की कंपनियों को लाभ पहुंचाने स्थानीय समुदायों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है। यह सरकार सुनियोजित तरीके से छत्तीसगढ़ के लोगों की ज़मीन, रोज़गार और भविष्य पर गहरा आघात पहुँचा रहा है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि तमनार क्षेत्र के ग्रामीण अपनी पुश्तैनी जमीन देना नहीं चाहते हैं। 14 गांवों की ग्राम सभाओं और ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कोयला उत्खनन का विरोध किया है। उनका कहना है कि खनन से खेती, बाड़ी और पर्यावरण पूरी तरह तबाह हो जाएगा, जिसे वे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। इसके बावजूद भाजपा सरकार उनकी जमीनें जबरदस्ती अधिग्रहित कर खनन शुरू कराना चाहती है। भाजपा सरकार बनने के बाद प्रदेश में अमेरा, खैरागढ़, हसदेव और तमनार सहित कई क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों की सहमति के बिना उन्हें बेदखल किया जा रहा है। जल, जंगल और जमीन को उद्योगपतियों के हवाले किया जा रहा है, जिसका कांग्रेस लगातार विरोध कर रही है।

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