
रायपुर - उत्तराखंड के बहुचर्चित और देश को झकझोर देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड में सामने आए नए खुलासों ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि सत्ता, रसूख और भाजपा के राजनीतिक संरक्षण में रची गई एक सुनियोजित साजिश है। भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक सुरेश राठौर की पत्नी एवं अभिनेत्री उर्मिला सनावर द्वारा सोशल मीडिया पर जारी वीडियो और ऑडियो ने इस मामले में कथित ‘वीआईपी’ की भूमिका को लेकर बेहद गंभीर, चौंकाने वाले और शर्मनाक सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन नए दावों के सामने आने के बाद यह साफ हो रहा है कि अंकिता भंडारी के साथ हुए जघन्य अपराध के पीछे केवल कुछ स्थानीय लोग नहीं, बल्कि सत्ता के गलियारों में बैठे प्रभावशाली चेहरे भी शामिल हो सकते हैं। उर्मिला सनावर द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम तथा अन्य भाजपा नेताओं के नाम सामने लाना इस बात का संकेत है कि इस हत्याकांड को शुरुआत से ही दबाने, सबूत मिटाने और असली गुनहगारों को बचाने की कोशिश की गई। भले ही भाजपा नेता आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हों, लेकिन देश जानता है कि जहां आग होती है, वहीं से धुआं उठता है।
इस पूरे मामले में पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कड़े और तीखे शब्दों में भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा का चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक ओर महिला सुरक्षा और ‘बेटी बचाओ’ का ढोंग करती है, वहीं दूसरी ओर उसकी सरकारें बेटियों के हत्यारों को बचाने में जुटी रहती हैं। यह भाजपा की कथनी और करनी का सबसे क्रूर और शर्मनाक उदाहरण है।
विकास उपाध्याय ने कहा कि अंकिता भंडारी के पिता आज भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड से लेकर केंद्र तक भाजपा सरकारें संवेदनहीन बनी हुई हैं। यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच होती, तो आज ‘वीआईपी’ का नाम सामने आने पर देश को सच्चाई जानने के लिए सोशल मीडिया वीडियो का सहारा नहीं लेना पड़ता। यह साफ दर्शाता है कि सत्ता के दबाव में जांच को प्रभावित किया गया और सच्चाई को जानबूझकर दफन किया गया।
उन्होंने स्पष्ट रूप से मांग की कि इस पूरे हत्याकांड की स्वतंत्र, निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। विकास उपाध्याय ने कहा कि जिन लोगों पर सीधे या परोक्ष रूप से आरोप लग रहे हैं, वे भाजपा के शीर्ष पदों पर आसीन हैं। ऐसे में जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम को उनके पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पद पर बने रहते हुए किसी भी आरोपी का अपने राजनीतिक प्रभाव और सत्ता का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित करना स्वाभाविक है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
विकास उपाध्याय ने केंद्र सरकार को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार वास्तव में न्याय और कानून के राज में विश्वास रखती है, तो उसे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भाजपा सरकार ने इस हत्याकांड को दबाने की कोशिश जारी रखी, तो यह केवल अंकिता भंडारी के परिवार के साथ अन्याय नहीं होगा, बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था के साथ विश्वासघात होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अंकिता भंडारी के परिवार के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है और तब तक संघर्ष करती रहेगी, जब तक इस जघन्य अपराध के हर दोषी को, चाहे वह कितना ही बड़ा ‘वीआईपी’ क्यों न हो, कानून के कठघरे में खड़ा कर सख्त से सख्त सजा नहीं दिलाई जाती। भाजपा की सत्ता-संरक्षित राजनीति को देश अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
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