महासमुंद - पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवन लाल चंद्राकर ने कहा कि भाजपा के साय सरकार की सुशासन व मोदी की गारंटी के सारे दावे बेमानी साबित हो रही है। विगत 3 नवंबर से सहकारी समिति कर्मचारी संघ व कम्प्यूटर आपरेटर संघ के कर्मचारी अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। गत वर्ष इन्हीं मांगों को लेकर 2024 में कर्मचारियों ने आंदोलन किया था जिस पर सरकार ने लिखित रूप से आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा। जिस पर कर्मचारियों ने आंदोलन समाप्त किया। लेकिन, 1 वर्ष बाद भी उनकी मांगे पूर्ण नहीं होने पर कर्मचारी पुन: आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे में इन कर्मचारियों की मांगों को पूरी करने के बजाए साय सरकार ने धान खरीदी कार्य के लिए पटवारी व ग्रामीण कृषि अधिकारियों को प्रबंधक बना दिया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि साय सरकार ने प्रबंधकों को बीच मझधार में छोड़ दिया है। भाजपा की यह पुरानी आदत है, जो अपने हक व अधिकार की लड़ाई लड़ता है, भाजपा उन्हें दरकिनार कर देता है। यही कारण है कि सरकार ने कल 12 नवंबर 2025 को कलेक्टर के माध्यम से एक आदेश जारी करवाया है, जिसमें जिले के 182 धान उपार्जन केंद्रों के समिति प्रबंधकों की जिम्मेदारी जिले के पटवारियों व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को देने का उल्लेख किया है। शासन के इस फरमान से यह साफ हो रहा है कि महासमुंद जिला सहित प्रदेश के तमाम जिलों के सहकारी कर्मचारी जो आंदोलन पर हैं, उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा और पटवारियों व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को प्रबंधक की जिम्मेदारी साैंप कर धान खरीदी करेंगे। जारी आदेश में यह कहा गया है कि सहकारिता विभाग, राजस्व विभाग, खाद्य विभाग, कृषि विभाग आदि के साथ ही जिले में उपलब्ध अन्य विभाग के कर्मचारियों को समिति प्रबंधक का प्रभार साैंपा जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि यदि सहकारी समिति के प्रबंधकों का काम पटवारी व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी तथा अन्य शासकीय कर्मचारी करेंगे तो उनका कार्य काैन करेगा? क्या सरकार पटवारियों, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों, राजस्व, खाद्य व सहकारिता विभाग के कर्मचारियों के स्थान पर नई भर्ती करेगी? या उनका कार्य भी किसी अन्य विभागीय कर्मचारियों से कराएगा। श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा की साय सरकार ने धान खरीदी की पूरी व्यवस्था चाैपट कर दी है। 72 घंटे में उठाव की नीति कांग्रेस ने बनाई थी, उसे बंद कर भाजपा ने सहकारी समितियों को सूखत की समस्या जैसे परेशानी से जूझने की कगार पर छोड़ दिया। आज 13 नवंबर की स्थिति में जिले के 182 उपार्जन केंद्रों में खरीदी की तैयारी तक नहीं हो पाई है। महज 40 उपार्जन केंद्रों में विभागीय कर्मचारियों के माध्यम से ट्रायल किया गया, वह भी आधी-अधूरी।
श्री चंद्राकर ने कहा कि असल मायने में भाजपा की सरकार किसानों से धान खरीदना ही नहीं चाहती। सरकार धान खरीदी में जान-बूझकर देरी कर किसानों को धान बेचने से वंचित करने का एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत काम कर रही है। समितियों की सफाई, बारदाने सहित अन्य आवश्यक तैयारियां अब नहीं हो पाई है। पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि प्रबंधकीय अनुदान, वेतन और नियमितीकरण, धान के उठाव न होने पर सूखत (शॉर्टेज) क्षतिपूर्ति की राशि, वेतनमान विसंगति, इंक्रीमेंट, पेंशन और भविष्य निधि जैसे अपने मूलभूत अधिकारों के लिए सोसाइटियों के कर्मचारी आंदोलित है, इन सभी मांगों को तत्काल पूर्ण कर सरकार कर्मचारियों व किसानों के साथ न्याय करें।

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