बिलासपुर - छत्तीसगढ़ राज्य बने 25 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन बिलासपुर जिले की आदिवासी बाहुल्य कोटा विधानसभा आज भी विकास से कोसों दूर है। यह आरोप पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने लगाते हुए कहा कि “भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के बाद भाजपा को सत्ता में आए लगभग दो साल हो चुके हैं, लेकिन कोटा की तस्वीर अब भी नहीं बदली। भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया है, जिसके कारण यहां के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।”
शुक्ला ने आगे कहा —
छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभाओं में कोटा वह विधानसभा है, जहां राज्य के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि आज कोटा 90 विधानसभाओं में विकास की दौड़ में सबसे पीछे है। यह स्थिति भाजपा सरकार की उपेक्षा का परिणाम है।”
स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल शुक्ला ने कहा कि कोटा ब्लॉक का सबसे बड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) खुद बीमार हालत में है। आए दिन मरीजों को दवाओं की कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति और मशीनों की खराबी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि “जब मुख्य स्वास्थ्य केंद्र की हालत यह है, तो आप सोच सकते हैं कि दूरस्थ इलाकों जैसे खोंगसरा, टेंगनमाड़ा, बेलगहना, केंदा, चपोरा, पुडू, शिवतराई, नवागांव, करगीकला के स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति क्या होगी।”
इन क्षेत्रों में सर्पदंश, मलेरिया, हैजा, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियां हर साल हजारों लोगों को प्रभावित करती हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चुप बैठे हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “DMF मद से संचालित बाइक एम्बुलेंस सेवा को कर्मचारियों को वेतन न मिलने के कारण बंद कर दिया गया, जिसे दोबारा शुरू होने में तीन महीने से अधिक लग गए — यह सरकारी उदासीनता की पराकाष्ठा है।”
शिक्षा व्यवस्था भी रसातल में शुक्ला ने कहा कि शिक्षा विभाग की हालत भी बेहतर नहीं है। ब्लॉक के कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि “आमागोहन, टेंगनमाड़ा, बेलगहना, केंदा, चपोरा और पुडू के हाई स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की भारी कमी है, जिसके चलते बच्चों को गलत विषय के शिक्षक पढ़ाने पर मजबूर हैं।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शिक्षा सुधार के लिए खोले गए आत्मानंद विद्यालय अब राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हैं और धीरे-धीरे अपनी गुणवत्ता खोते जा रहे हैं।
सड़कें बनी जानलेवा कोटा विधानसभा क्षेत्र की सड़कों पर यात्रा करना अब लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
शुक्ला ने कहा कि “कोटा ब्लॉक मुख्यालय से अंतिम छोर के गांवों तक की दूरी 60 से 70 किलोमीटर तक है, और इन मार्गों की हालत इतनी खराब है कि बिलासपुर या रायपुर तक पहुँचना किसी चुनौती से कम नहीं।”
उन्होंने बताया की खोंगसरा से कोटा,केंदा से कोटा,कुरदर से कोटा,बेलगहना से सलका होते हुए कोटा,बेलगहना से झींगतपुर कोटा,कोटा से रतनपुर,अमाली-बिल्लिबंद से कोटा जैसे प्रमुख मार्ग गड्ढों में तब्दील हैं। इन सड़कों से रोजाना ग्रामीणों को धान बेचने, सरकारी कामकाज, कॉलेज या अस्पताल जाने के लिए गुजरना पड़ता है, जो कई बार जानलेवा साबित हो रहा है।
जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है
शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार “सुशासन की सरकार” होने का दावा करती है, लेकिन कोटा विधानसभा की जनता इस कथित सुशासन से पूरी तरह वंचित है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा —
अगर सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया, तो कोटा की जनता आंदोलन के लिए मजबूर होगी। अब और चुप नहीं रहा जाएगा।”

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