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36 दिन में 88 हजार किसान से 12.32 लाख एमटी धान खरीद पाना असंभव - विनोद चंद्राकर

महासमुंद - धान खरीदी में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि अभी भी किसानों को टोकन के लिए भटकना पड़ रहा है। टोकन तुंहर हाथ एप में सर्वर की समस्या के चलते टोकन नहीं कटने से किसान धान बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं। समितियों में 70 प्रतिशत आॅनलाइन और 30 प्रतिशत आॅफलाइन टोकन काटने का नियम बनाया गया है। आॅफलाइन टोकन के लिए भी किसानों को कई दिनों तक सोसायटी के चक्कर लगाना पड़ रहा है। श्री चंद्राकर ने कहा कि आॅनलाइन व आॅफ लाइन दोनों माध्यम से 50-50 प्रतिशत टोकन काटने की व्यवस्था किया जाए जिससे किसानों को परेशानी न झेलनी पड़े।

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि देर से खरीदी प्रारंभ करने तथा समितियों में खरीदी सीमा लागू होने के कारण बहुत कम मात्रा में धान की खरीदी हो पाई है। प्रतिदिन अधिकांश समितियों में 12 साै से लेकर 17 साै क्विंटल तक खरीदी लिमिट के कारण पंजीकृत किसान चिंतित हैं, वर्तमान खरीदी सीजन के अंतिम तिथि तक समस्त किसानों का धान खरीद पाना संभव नहीं है। खरीफ सीजन 2025-26 में धान खरीदी के लिए महासमुंद जिले में 1 लाख 11 हजार 831 किसान पंजीकृत हैं। इन किसानों से अंतिम तिथि 31 जनवरी 2026 तक 12 लाख 45 हजार मीटि्रक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। खरीदी शुरू हुए आज 19 दिन बीत गए हैं। केवल 23 हजार किसानों से लगभग साढ़े 13 हजार मीटि्रक टन धान खरीदी हो पाई है। जो लक्ष्य के 10 प्रतिशत से भी कम है। जिस गति से खरीदी कार्य चल रहा है उससे तो यही लग रहा है कि अंतिम तिथि तक धान खरीदी संभव ही नहीं है। कल 5 दिसंबर से 31 जनवरी के बीच शनिवार-रविवार के अलावा गुरू घासीदास पर्व, क्रीसमस डे, जनवरी में छेरछेरा, गणतंत्र दिवस आदि पर्वों को मिलाकर कुल 22 शासकीय अवकाश हैं। ऐसे में केवल 36 दिनों में ही शेष 88 हजार किसानों से 12 लाख 32 हजार मीटि्रक टन धान की खरीदी कर पाना एक चुनाैती है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा प्रतिदिन धान खरीदी कार्य सुगमता से होने तथा किसान उत्साहित होने की झूठी खबरें प्रसारित कराया जा रहा है। यदि धान खरीदी कार्य सुगमता से चलता तो टोकन की समस्या, रकबा कटाैती की समस्या, धान बेचने के लिए किसानों को कई-कई दिनों अपने बारी का इंतजार करने जैसे हालातों का सामना नहीं करना पड़ता। यदि सरकार सच्चे अर्थों में किसान हितैशी है तो प्रतिदिन खरीदी लिमिट बढ़ाए तथा एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीकृत समस्त किसानों का संपूर्ण धान खरीदकर उन्हें सुविधा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ ही समिति को भी धान उठाव में देरी कर परेशान करने का काम किया जा रहा है। पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के कार्यकाल में 72 घंटे में उठाव हो जाता था। जिससे सूखत की समस्या का सामना समितियों को नहीं करना पड़ा।

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